किसी भ्रम में न आएं, बहुत गुणकारी है चावल
सेहतराग टीम
भारत के पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर लेकर दक्षिण तक एक खाद्यान्न ऐसा है जिसका इस्तेमाल समग्र एक जैसा होता है। पंजाब-हरियाणा-हिमाचल-उत्तरांचल को छोड़ दिया जाए तो सुदूर पूर्व से लेकर मरुधर पश्चिम तक और सागरपर्यंत दक्षिणी राज्यों में आम जनता के बीच चावल के व्यंजनों की भरमार देखी जाती है। चाहे सामान्य रूप से उबाले गए चावल हों, चावल की खिचड़ी हो, चावल पीसकर बनाए गए इडली या अन्य व्यंजन हो, रसोई में धान के इस उत्पाद का जलवा है।
हालांकि हाल के दिनों में चावल को लेकर कई तरह के भ्रम फैलाए जाते रहे हैं कि इसके सेवन से वजन बढ़ता है, शरीर भारी लगता है, आलस्य आता है आदि-आदि। आयुर्वेद इन सभी को खारिज करता है। कायदे की बात ये है कि चावल किसी भी अन्य अनाज के मुकाबले तेजी से पचने वाला भोजन है। इसलिए इसके सेवन से आलस्य या अन्य किसी परेशानी की बात तो भूल ही जाएं।
देश के जाने-माने वनस्पतिशास्त्री प्रेमपाल शर्मा अपनी पुस्तक ‘शुद्ध अन्न स्वस्थ तन’ में लिखते हैं, ‘भोजन के रूप में चावल दुनिया भर में उपयोगी है। चावल का भात, बिरयानी या पुलाव पकाया जाता है। चावल में चिकनाई कम होने के कारण ये जल्दी पच जाता है। चावल के साथ दाल मिलाने से इसका वायुकारक दोष कम हो जाता है और पौष्टिकता कई गुणा बढ़ जाती है। भात की अपेक्षा चावल में मूंग, मसूर, चना, उड़द आदि की दाल डालकर बनाई गई खिचड़ी अधिक पौष्टिक होती है। ये ध्यान रखें कि चावल पकाते समय उसका मांड़ फेंकना नहीं चाहिए क्योंकि अधिकांश पौष्टिक तत्व इसी में होते हैं। इस मांड़ का इस्तेमाल आप सांभर, दाल आदि में डालने में करें या फिर रोटी का आटा इसी से गूंथ लें। इसके अलावा चावल की कचरी, पापड़ आदि भी बनाए जाते हैं। चावल के मूल अनाज धान से चिड़वा, मुरमुरे आदि उत्पाद बनाए जाते हैं। बंगाल-बिहार जैसे राज्यों में चिड़वा का व्यापक उपयोग होता है। चिड़वा के साथ दही, चीनी मिलाकर खाने को सात्विक और शुद्ध माना जाता है।’
गुणधर्म: आयुर्वेदिक चिकित्सक चावल को वल्य, कफजनक, त्रिदोषनाशक, शुक्रनाशक, दीपन, तृष्णा, ज्वर, विष, व्रण, श्वास, कास, दाह आदि रोगों का नाशक बताते हैं। साठ दिन में तैयार होने वाली धान की किस्म से तैयार साठी चावल खाने में मीठा, शीतल, वायु एवं पित्त का नाश करने वाला होता है। चावल की खिचड़ी वीर्य वर्धक, बल्य एवं दस्त रोगों में बेहद फायदेमंद है। छाछ में चावल को पकाकर बनाई जाने वाली महेरी बच्चों, रोगियों और कमजोरी से पीड़ित लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
चिकित्सीय उपयोग
पेशाब में जलन: शरीर में गरमी या अन्य किसी कारण से मूत्र में दाह या जलन हो या पेशाब लगकर आ रहा हो तो एक छोटे गिलास भर चावल के मांड़ में खांड या चीनी मिलाकर खूब ठंडाकर पिला दें। कुछ ही देर में पेशाब की जलन शांत हो जाएगी।
कब्जनाशक: जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो उन्हें एक भाग चावल तथा दो भाग मूंग की दाल मिलाकर खिचड़ी बनाकर और इसमें घी मिलाकर खिलाएं। पेट साफ होगा।
शरीर पुष्ट: चिड़वा को साफ पानी में धोकर दूध के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है। यह स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है।
सौंदर्य वृद्धि: हल्दी के साथ चावल का उबटन बनाकर कुछ दिनों तक नियमपूर्वक मालिश करें, फिर गुनगुने जल में नीबू रस की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें। इससे त्वचा चमकदार, पुष्ट एवं कांतिमय हो जाती है।
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